अगर आपको ये लगता हैं की 1990 मे कश्मीरी जिहादियों द्वारा किए गए कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार पर बीजेपी की केंद्र सरकार कुछ भी न्याय करेगी तो ये आपकी गलतफहमी हैं क्योंकि बीजेपी यदि कश्मीरी पंडितों के युद्ध अपराधियों पर कार्यवाही करती हैं तो अपने शीर्ष नेताओ जिन्होंने बीजेपी का गठन किया उनकी क्या भूमिका रही, इसकी जांच नहीं होने देगी और कॉंग्रेस तो ये कार्य हिंदुओं के प्रति अपनी दुर्भावना के चलते वैसे भी नहीं करेगी।
जिस समय मुसलमानों ने अपना फेमस रिचूअल (रलिव गलिव चलिव) कश्मीरी हिंदुओं पर किया उस समय केंद्र में बीजेपी के 85 सांसद के साथ जनता दल की सरकार थी। अटल बिहारी वाजपेयी और एल० के० आडवाणी ने कश्मीरी हिंदुओं से वोट लेकर उनको जिहादियों के हाथों मरने के लिए छोड़ दिया। ठीक वैसे ही जैसे आज मणिपुर में हो रहा हैं।
जरा सोचिए आप देश के शीर्ष पदों पर बैठे हो आप के हाथ में शक्ति हैं, आपकी जवाबदेही भी हैं परंतु आप कुछ ना करे और कश्मीर की सड़कों पर हिंदुओं के खून से होली खेली जाति रहे।
उस समय की सबसे दर्दनाक घटना ये हुई की कश्मीरी पंडित जब मुसलमानों के ये (रलिव गलिव चलिव) जिहादी नारे सुनते थे तो उनसे बड़े ही विश्वास से कहते थे की अटल बिहारी वाजपेयी सेना को आदेश देने वाले हैं वो हमारी रक्षा करने के लिए जल्द ही कुछ करेंगे पर अफसोस अटल जी ने कुछ नहीं किया।
जानने योग्य बात ये हैं कि बीजेपी अपने इन नेताओं की जवाबदेही कभी तय नहीं कर सकती क्योंकि ये एक राजनीतिक आत्महत्या करने के समान होगा इसलिए इनसे कोई उम्मीद मत रखिए।
जो स्वयं अपराधियों के संग अपना मुह सिले हाथ बाँधे खड़े थे उन्ही से न्याय और सुरक्षा की गुहार लगाना स्वयं का अपमान हैं। इससे बड़ी कायरता और और सत्य के प्रति अनदेखी कुछ हो नहीं सकती।
सम्पूर्ण हिंदू समाज को चाहिए वो ऐसी पोलिटिकल पार्टी जो अपने ही गलत निर्णयों के बोझ के तले दबी हुई हैं उनका साथ अतिशीघ्र छोड़ दे और एकम् सनातन भारत दल का दमन थाम ले, क्योंकि हमारी कोई मजबूरी नहीं हैं।
हम सत्ता में आएंगे तो कश्मीरी पंडितों के अपराधियों को नहीं छोड़ेंगे। क्योंकि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं।
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